गँसना
दिखावट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]गँसना ^१पु † क्रि॰ स॰ [सं॰ ग्रन्थन]
१. अच्छी तरह कसना । जकड़ना । गाँठना ।
२. बुनावट में तागों या सूतों को परस्पर खूब मिलाना जिसमें छेद न रह जाय । बुनावद में बाने को कसना ।
गँसना ^२ क्रि॰ अ॰
१. बुनावट में सूतों का खूब पास पास होना । गँठ जाना । कस जाना ।
२. ठसाठस भरना । छा जाना । उ॰—(क) भनै रघुराज ब्रह्मलोक के अवध लगि गगन में गँसिगै विसान के कतार हैं ।—रघुराज (शब्द॰) । (ख) बिधु कैसी कला बधू गैलनि में गँसी ठाढ़ी गोपाल जहाँ जुरिगो ।—पजनेस (शब्द॰) ।
गँसना ^३ क्रि॰ अ॰ [सं॰ ग्रसन] दे॰ 'ग्रसना' । उ॰—वह रहस्यशील दुरधिगम्य सुनीता को मानो एक ही साथ गँस लेता है ।— सुनीता, पृ॰ २९९ ।