गंगेरन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]गंगेरन संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ गाङ्गेरुकी] एक प्रकार का पौधा जो औषध- शास्त्र में चतुर्विध बला के अंतर्गत माना जाता है और सहदेई के पौधी के समान होता है । विशेष—सहदेई से इसमें भेद यह है कि इसके पत्ते अधिक मोट े और दो अनीवाले होते हैं । फूल गुलाबी होते हैं और फल भी कुछ बड़े होते हैं । फल में विशेषता यह है कि पकने पर उसके पाँच भाग हो जाते हैं । गँगेरन के गुण भी वैद्यक में वरियारा या खिरैंटी के से माने जाते हैं । गँगेरन मूत्रकृच्छ, क्षत और क्षीण रोग, खुजली, कुष्ठ आदि में दी जाती है । गँगेरन दो प्रकार की होती है—एक छोटी, दूसरी बड़ी । बड़ी गँगेरन भी अम्ल, मधुर, त्रिदोषनाशक तथा दाह और ज्वर को दूर करनेवाली मानी जाती है । इसे गुलशकरी भी कहते हैं । पर्या॰—नागबला । गाँगेरुकी । झषा । हस्वगवेधुका । खरगं— धनी । गोरक्षतंडुला । भद्रौदनी । चतुःपला । खरवल्लिरिंका । महोदया । महापत्रा । विश्वदेवी । अनिष्ठा । देवदंडा ।