सामग्री पर जाएँ

गंधर्व

विक्षनरी से


प्रकाशितकोशों से अर्थ

[सम्पादन]

शब्दसागर

[सम्पादन]

गंधर्व संज्ञा पुं॰ [सं॰ गन्धर्व] [स्त्री॰ गन्धर्वी, हिं॰ स्त्री॰ गंधर्विन]

१. देवताओं का एक भेद । विशेष—ये पुराण के अनुसार स्वर्ग में रहते हैं और वहाँ गाने का काम करते हैं । अग्निपुराण में गंधर्वों के ग्यारह गण माने गए हैं,—अश्राज्य, अंधारि, बंभारि, शूर्यवर्च्चा, कृधु, हस्त, सुहस्त, स्वन्, मूर्धन्वा, विरवावसु, और कृशालु । इन गंधर्वों में हाहाहूहू, चित्ररथ, रस, विश्वावसु, गोमायु, तुंबुरु और नंदि प्रधान माने गए हैं । वेदों में गंधर्व दो प्रकार के माने गए हैं क द्युस्थान के, दूसरे अतरिक्ष स्थान के । द्युस्थान के गंधर्वों को दिव्य गंधर्व भी कहते हैं । ये सोम के रक्षक, रोगों के चिकित्सक, सूर्य के अश्वों के वाहक, तथा स्वर्गीय ज्ञान के प्रकाशक माने गए हैं । यम और यमी के उत्पादक भी गंधर्व ही कहे गए हैं । मध्यस्थान के गंधर्व नक्षत्रचक्र के प्रवर्तक और सोम के रक्षक माने गए हैं । इंद्र इनसे लड़कर सोम को छीनता और मनुष्यों को देता हैं । इनाका स्वामी वरुण है । द्युस्थान के गंधर्व से सूर्य, सूर्य की रश्मि, तेज, प्रकाश इत्यादि ऐर मध्यस्थान के गंधर्व से मेघ, चंद्रमा, विद्युत आदि निरुक्त शास्त्र के अधार पर लिये जाते हैं क्योंकि 'गा' । या 'गो' को धारण करनेवाल गंधर्व कहा जाता हैं; और 'गा' या 'गो' से पृथिवी, वाणी, किरण इत्यादि का ग्रहण होता है । इसके अतिरिक्त उपनिषद और ब्राह्मण ग्रंथों में भी गंधर्वों के दो भेद मिलते हैं—देव गंधर्व और मनुष्य गंधर्व । कहीं गंधर्व को राक्षस, पिशाचादि के समय एक प्रकार का भूत माना है । पर्या॰—विद्याधर ।

२. मृग ।

३. घोड़ा ।

४. वह आत्म जिसमें एक शरीर छोड़कर दूसरा ग्रहण किया हो । मृत्यु के बाद तथा पुनर्जन्म के पूर्व की आत्मा । प्रेत ।

५. स्त्रियों की वह अवस्था जब उनके स्वर में माधुर्य उत्पन्न होता है ।

६. वैद्यक में एक प्रकार का मानसिक रोग जिसे 'ग्रह' कहते हैं । विशेष—इस रोग से ग्रस्त मनुष्य बाग, वन, नदी या झरनों के किनारे घुमता हैं । गंध और माल्य उसे अच्छे लगते हैं । वह नाचता, गाता, हँसता और दूसरों से कम बोलता है । गंधर्व- ग्रह, गंधर्वरोग आदि नामों से इसका वर्णन मिलता है ।

७. एक जाति जिसकी कन्याएँ नाचती गाती और वेश्यावति करती हैं । ये लोग कुमाऊँ आदि पहाड़ों तथा काशी आदि नगरों में पाए जाते हैं ।

८. संगीत में के साठ मुख्य भेदों में से एक । यथा—चत्वारो गुरवो विदुश्चत्वारश्च प्लुता अपि । विंदवो दश ष्ट्लाश्च ताले गंधर्वसंज्ञके—संगीत दामोदर (शब्द॰) ।

९. विधवा स्त्री का दूसरा पति ।

१०. गायक (को॰) ।

११. सूर्य (को॰) ।

१२. कोकिल (को॰) ।

१३. एरंड़ । रेंड (को॰) ।