गजपिप्पली

विक्षनरी से

हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गजपिप्पली संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] मझोले कद के एक पौधे का नाम जिसके पत्ते चौड़े और गुदार होते है और जिसके किनारे पर लहरिया नोकदार कटाव होतो है । विशेष—इसमें दो तीन पत्तों के बाद बीच से एक पतला सींका निकलता है जिसके सिरे पर दस बारह अंगुल लंबी एक इंच के लगभग मोटी मंजरी निकलती है । मंजरी में छोटे छोटे फूल लगते हैं । यह मंजरी सुखाई जाती है और सूखने पर बाजारों में औषध के लिये बिकती है । बाजार में इसके एक अंगुल मोटे और चार पाँच अंगुल लंबे चुकड़े मिलते हैं । स्वाद में यह मंजरी कड़वी और चरपरी होती है । वैद्यक में यह गरम, मलशोधक, कफ-वात-नाशक, स्तन को बढ़ानेवाली, रुचिकारक और अग्निदीपक मानी गई है और कहा गया है कि पकने से पहले इसमें और भी कुछ गुण होते हैं । पर्या॰—करिपिप्पली । इभकणा । कपिवल्ली । कपिल्लिका । वक्षिर । कोलवल्ली । चव्यफल । दीर्घग्रंथी । तैजसी ।