गजर
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]गजर ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ गर्ज, हिं॰ गरज]
१. पहर पहर पर घंटा बजने का शब्द । पारा । उ॰—पहरहि पहर नजर नित होई । हिया निसोगा जान न कोई ।—जायसी (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—बजना ।
२. घंटे का वह शब्द जो प्रातःकाल चार बजे होता है । सबेरे के समय का घंटा । उ॰—फजर को गरज बजाऊँ तेरे पास मैं ।—सूदन (शब्द॰) । मुहा॰—गजरदम या गजरवजे = तड़के । पौ फटते । पास भोरे । जैसे,—वह गजरदम उठ खड़ा हुआ । गजर का वक्त = सबेरा । उषःकाल । जैसे—उठो गजर का वक्त हुआ; ईश्वर का नाम को ।
३. जगाने की घंटी । जगौनी । अलारम ।
४. चार, आठ और बारह बजने पर उतनी ही बार जल्दी जल्दी फिर घंटा बजने का शब्द ।
गजर ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ गजर बजर = मिला जुला] लाल और सफेद मिला हुआ गेहूँ ।
गजर बजर संज्ञा पुं॰ [अनु॰]
१. घाल मेल । बेमेल की मिला- वट । अंडथंड । क्रि॰ प्र॰—करना । होना ।
२. खाद्याखाद्य । भक्ष्याभक्ष्य । पथ्यापथ्य । जैसे,—लड़के ने कुछ गजर बजर खा लिया होगा ।