गठरो
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]गठरो संज्ञा स्त्री॰ [ हिं॰ गट्ठर का स्त्री॰ और अल्पा॰]
१. कपड़े में गाँठ देकर बांधा हुआ सामान । बड़ी पोटली । बकची । मुहा॰— गठरी बाँधाना = (१) (असबाब बाँधकर) यात्रा की तौयारी करना । (२) पैरों और घुटनों को छाती से लगाकर और उन्हों दोंना हाथों से जकड़कर गठरी की आकृति बना लेना । गठरी साधना = दे॰ 'गट्ठर साधना' । गठरी कर देना = (१) हाथ पैर तोड़ या बाँधकर अथवा और किसी प्रकार बेकाम कर देना । ढेर करना । मारकर गिरा देना । (२) कुश्ती में बिपक्षी को इस प्रकार दोहर कर देना जिसमें उसकी आकृति गठरी के समान हो जाय । गठरी मारना = दे॰' गठरी बाँधना (२)' ।
२. संचित धन । जमा की हुई दौलत । मुहा॰— गठरी मारना = अनुचित रूप से किसी का धन ले लेना । ठगना ।
३. एक प्रकार की तैराकी । विशेष— इसमें तैरनेवाला अपने पैरों और घुटनों को छाती से लगाकर और उन्हों दोनों हाथों से पकड़कर गठरी की सी आकृति बना लेता है और इस प्रकार तैरता रहता है ।