गढ़
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]गढ़ संज्ञा पुं॰ [सं॰ गड़ = खाँई] [स्त्री॰ अल्पा॰ गढ़ी]
१. खाँई ।
२. किला । कोट । उ॰—गढ़ पर बसहिं चार गढ़पती ।— जायसी (शब्द॰) । मुहा॰ = गढ़ जीतना या गढ़ तोड़ना = (१) किला जीतना । किले पर अधिकार करना । (२) कठिन काम करना । जैसे,—कौन सा गढ़ तोड़ना था जो इतनी देर लगी । (३) प्रथम समागम में कृतकार्य होना ।—(बाजारी) ।
३. युद्ध की सामग्री में लकड़ी का एक बड़ा संदूका या कोठरी । दबाबा । विशेष—इसमें कुछ आदमियों को बैठाकर किले में डाल देते हैं । वे लोग उसमें बैठे हुए सुरंग खोदते हैं ।