गदगद

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गदगद पु वि॰ [सं॰ गदगद] दे॰ 'गदगद' । उ॰—रुकि आँसू गदगद गिरा आँखिन कछु न लखान ।—शकुंतला, पृ॰ ७० । (ख) कबहूँ कै हँसि उठय नृत्य करि रोवन लगाय । कबहूँ गदगद कंठ शब्द निकसै नहिं आगय ।—सुंदर ग्रं॰, भा॰१, पृ॰ २६ ।

गदगद वि॰ [सं॰]

१. अत्यधिक हर्ष, प्रेम, श्रद्धा आदि के आवेग से इतना पूर्ण कि अपने आप को भूल जाय और स्पष्ट शब्द उच्चारण न कर सके ।

२. अधिक हर्ष, प्रेम आदि के कारण रुका हुआ, अस्पष्ट या असंबद्ध । जैसे,—गदगद कंठ । गदगद वाणी । गदगद स्वर ।

३. प्रसन्न । आनंदित । पुलकित ।

गदगद ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰] वह रोग जिसमें रोगी शब्दों का स्पष्ट उच्चारण न कर सके अथवा उसके दोषवश एक एक अक्षर का कई कई बार उच्चारण करे । यह रोग या तो जन्म से होता है या बीच में लकवे आदि के कारण हो जाता हे । हकलाना ।