गप

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गप ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ कल्प, प्रा॰ कप्प अथवा सं॰ जल्प > गल्प, हिं॰ गप्प] [वि॰ गप्पी]

१. इधर उधर की बात, जिसकी सत्यता का निश्चय न हो ।

२. वह बात जो केवल जी बहलाने के लिये की जाय । वह बात जो किसी प्रयोजन से न की जाय । बकवाद । क्रि॰ प्र॰—मारना । यौ॰—गप शप = इधर उधर की बातें । वार्तालाप ।

३. झूठी बात । मिथ्या प्रसंग । कपोलकल्पना । जैसे,— यह सब गप है; एक बात भी ठीक नहीं है ।

४. झूठी खबर । मिथ्या संवाद । अफवाह । मुहा॰ गप उड़ना = झूठी खबर फैलाना ।

५. वह झूठी बात जो बडा़ई प्रकट करने के लिये की जाय । डींग । क्रि॰ प्र॰—मारना ।—हाकना ।

गप ^२ संज्ञा पुं॰ [अनु॰]

१. वह शब्द जो झट से निगलने, किसी नाम अथवा गीली वस्तु में घुसने या पड़ने आदि से होता है । जैसे— (क) वह गप से मिठाई खा गया । (ख) घाव में इतनी सलाई गप से घुस गई । विशेष—इस प्रकार के और अनुकरण शब्दों के समान इस शब्द का प्रयोग भी प्रकार सूचित करने के लिये प्रायः 'से' के साथ होता है । यो॰—गपागप = जल्दी जल्दी । झटपट ।

२. निगलने या खाने की क्रिया । भक्षण । जैसे-(क) सब मत गप कर जाओ, हमारे खाने के लिये भी रहने दो । (ख) मीठा मीठा गप, कड़वा कडुवा थू । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना ।