गबरू ^१ वि॰ [फा॰ खूबरू] १. उभड़ती जवानी का । जिसे रेख उठती हो । पट्टा । उ॰—काहे को भये उदास सैंया गबरू । तुमरी खुशी से खुशी मोरे लबरू ।—दुर्गाप्रसाद मिश्र (शब्द॰) । २. भोलाभाला । सीधा ।
गबरू ^२ † संज्ञा पुं॰ दूल्हा । पति ।