गरक
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
गरक पु ^१ वि॰, [अ॰ ग़र्क]
१. ड़ूबा हुआ । निमग्न ।
२. बिलुप्त नष्ट । बरबाद तबाह ।
३. (किसी कार्य आदि में) लीन । मग्न । उ॰—ऋषभदेव बोले नहीं रहे ब्रह्ममैं होइ, गरक भए निज ज्ञान मैं द्वैत भाव नहि कोई ।—सुंदर ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰, ७८६ ।
गरक ^२ पु वि॰ [देश॰] सधन । गंभीर । गहरा । उ॰—गरक घटा उमँड़ी गरज, हरष सिखंड़ी होय ।—रघु॰ रू॰ पृ॰, ९३ ।