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गरम

विक्षनरी से

विशेषण

अनुवाद

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

गरम । उ॰—ऊष्ण काल अरु देह खिन मगपंची तन ऊख । चातक बतियाँ ना रुचीं, अन जल सींचे रूख ।—तुलसी (शब्द॰) ।

गरम वि॰ [फा़॰ गर्म, मिलाओ सं॰ घर्म] [क्रि॰ गरमाना, संज्ञा गरमी]

१. जिसके छूने से जलन मालूम हो । जलता हुआ तप्त । तत्ता । उष्ण । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना । यौ॰—गरमागरम = (१) तत्ता । उष्ण । (२) ताजा पका हुआ । विशेष—इसका प्रयोग साधारणतः खाने पीने की वस्तुओँ के लिये होता है । जैसे,—गरमागरम पूरी, हलुवा आदि; पर अलंकार से—गरमागरम खबर (ताजी खबर), गरमागरम बहस या बात ( = आवेश या जोश भरी बात, आदि) भी बोलते हैँ । मुहा॰—गरमचोट = तुरंत की लगी चोट । ताजा घाव । जैस— गरम चोट मालूम नहीं होती । गरम मामला = हाल की बात । ऐसी घटना जिसका प्रभाव लोगों पर बना हौ । जैसे,—अभी मामला गरम है, जो करना हो सो कर ड़ालो । गरम पानी = वीर्य । शुक्र ।—(बाजारी) । गरम सर्द उठाना, देखना या सहना = संसार का ऊँचा नीचा देखना । भले बुरे दिन काटना ।

२. तीक्ष्ण । उग्र । खरा । मुहा॰—मिजाज गरम होना = क्रोध आना । गरम होना = आवेश में आना । क्रुद्ध होना । जैसे,—तुम तो जरा सी बात में गरम हो जाते है ।

३. तेज । प्रबल । प्रचंड़ । जोर शोर का । जैसे,—गरम खबर । मुहा॰—किसी चीज (प्रायः भाव) का बाजार गरम होता = किसी बात की अधिकता होना । जैसे,—आजकल लूट का बाजार गरम है ।

४. जिसका गुण उष्ण हो । जिसके व्यवहार या सेवन से गरमी बढ़े । जैसे;—लहसुन बहुत गरम होता है । यौ॰—गरम कपड़ा = शरीर गरम रखनेवाला कपड़ा । जाड़े का कपड़ा । ऊनी कपड़ा । गरम मसला = सुगंध की वस्तु जो भोजन को चरपरा, पाचक और सुस्वादु करने के लिये उसमें पड़ती है । जैसे,—धनियाँ, लौंग, बड़ी इलायची, जीरा, मिर्च इत्यादि । ५ उत्साहपूर्ण । जोश से भरा । आवेशपूर्ण । उ॰—परम धरमधर धरम करम कर सुरस गरम नर ।—गोपाल (शब्द॰) ।