गरारा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गरारा ^१ वि॰ [सं॰ गर्व, प्रा॰, पुं॰ हिं॰ गारो + आर (प्रत्य॰)] गर्वयुक्त । प्रबल । प्रचंड़ । बलवान । उद्धत । उ॰—(क) कुंडल कीट कवट तनु धोरे । चले सैन महँ सुभट गरारे । = गोपाल (शब्द॰) । (ख) सुंडन उठाए फिरैं धाये धने सम बैठे असवार मिलैं मुदित पतंग संग । गरजैं गरारे कजरारे अति दीह देह जिनहिं निहारे फिरैं बीर करि धीर भंग = गोपाल (शब्द॰) ।

गरारा ^२ संज्ञां पुं॰ [अ॰ ग़र्ग़रह् ग़ररह् फ़ा॰ गरारह्]

१. कंठ में पानी डालकर गर गर शब्द करके कुल्ली करना । क्रि॰ प्र॰ = करना ।

२. गरगरा करने की दवा ।

गरारा ^३ संज्ञां पुं॰ [हिं॰ घेरा]

१. पायजामे की ढीली मोहरी । जैसे,—गरारेदार पाजामा ।

२. ढीली मोहरी का पायजामा ।

३. वह थैला जिसमें खेमा भरकर रखा जाता हैं ।

गरारा ^४ संज्ञां पुं॰ [अनु॰] चौपायों का एक रोग जिसमें उनके कंठ से घुरघुर शब्द निकलता है । घुरकवा ।