गहाना क्रि॰ स॰ [हिं॰ गहना (= पकड़ना) का प्रे॰ रूप] धराना । पकड़ाना । गहवाना । उ॰—आजु जौ हरिहिं न सस्त्र गहाऊँ । तौ लाजौं गंगा जननी कौं, सांतनु सुत न कहाऊँ ।— सूर॰, १ । २७० ।