गाँस

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गाँस संज्ञा स्त्री॰ [हि॰ भाँसना] रोक टोक । बाधा । प्रतिरोध । बंधन । उ॰—सब गाँस फाँस मिटाय दास हुलास ज्ञान अखंड़ के । नहिं नास तेहि इतिहास सुनि सो आदि अंत प्रचंड़ के (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—करना ।—देना ।—रखना ।

२. बैर । द्वेष । ईर्ष्या । मनोमालिन्य । उ॰—बिथुरय़ो जावक सौति पग, निरखि हँसी महि गाँस । सकल हँसौंही लखि लियौ आधी हँसी उसास ।—बिहारी (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—रखना । धरना ।—पकड़ना । गहना । मुहा॰गाँस निकलाना = बैर निकालना ।

३. हृदय को गुप्त बात । भेद की बात । रहस्य । उ॰—(क) जोबन दान लेहिंगे तुम सों । चतुराई मिलवति है हम सों । इनकी गाँस कहा री जानो । इतनी कही एक जिय मानो ।— सूर (शब्द॰) । (ख) बहू बात साँची याकी गाँस एक और सुनो साधु को न हँसे कोऊ यह मैं बिचारी है ।—प्रिया (शब्द॰) ।

४. गाँठ फंदा । गठन । बनावट । जमावट । उ॰—इतने सबै तुम्हारे पास । निरखि न देखहु अंग अंग सब चतुराई को गाँस ।—सूर (शब्द॰) ।

५. तीर या बर्छी् का फल । हथियार की नोक । उ॰—कोटिन मनोज की बनीज जाके आगे पुनि दबति कलानिधि की खोज को न काढी़ हैँ । रघुनाथ हेरि सोई हरखि हरिननैनी गहै गाँस पैनी रीझ बतरस बाढी़ है ।—रघुनाथ (शब्द॰) । †६वश । अधिकार । शासन । मुहा॰—गाँस में करना या रखना = अधिकार में रखना । देखरेख में रखना । शासन में रखना । उ॰—निर्गुन कौन देश को बासी । .......पावेगो पुनि कियो आपनी करेगो गाँसी । सुनत मौन ह्वै रह्यौ बावरो सूर सबै मति नासी ।—सूर (शब्द॰) ।

७. देखरेख । निगरानी ।