गांधार

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गांधार संज्ञा पुं॰ [सं॰ गान्धार]

१. सिंधु नद के पश्चिम का देश । विशेष—यह पेशावर से लेकर कंधार तक माना जाता था । इस देश की सीमा भिन्न भिन्न समयों में बदलती रही है ।

गांधार पंचम संज्ञा पुं॰ [सं॰] एक षा़ड़व राग । विशेष—यह मंगलीक राग है और अदभुत हास्य तथा करुण रस में इसका प्रयोग होता है । इसमें ऋषभ नहीं लगता । म, प, ध, नि, स, ग, म इसका सरगम है । इसमें प्रसन्न मध्यम अलंकार और काकली का संचार होना आवश्यक है । इसे केवल गांधार भी कहते हैं ।

गांधार भैरव संज्ञा पुं॰ [सं॰ गान्धार भैरव] एक राग का नाम । विशेष—यह राग देवगांधार के मेल से बनता है । इसमें सातों स्वर लगते हैं और यह प्रातः काल गाया जाता है । इसका सरगम यह है—ध, नि, स, रि, ग, म, प, ध ।