गाड़ा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गाड़ा ^१पु † संज्ञा पुं॰ [सं॰ गान्त्री = बैलगाड़ी] गाड़ी । छकड़ा । बैलगाड़ी । उ॰—कुंड़ल कान कंठ माला दै ध्रुव नंद अति सुख पायो । सीधे बहुत सुरासुर नंद गाड़ा भरि पहुँ चायों ।—सूर (शब्द॰) ।

गाड़ा ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ गर्त, प्रा॰, ग़ड्ड]

१. वह गड्ढा जिसमें आगे लोग छिपकर बैठ रहते थे और शत्रु, चोर, ड़ाकू आदि का पता लेते थे । पहले गाँवों में ऐसे गड्ढे रहा करते थे । मुहा॰—गाड़े बैठना = (१) घात में बैठाना ।(२) चौकी या पहरे पर बैठना । गाड़ा बैठाना = चौकी बैठाना । पहरा बैठाना ।

२. वह खत्ता या गड्ढा जो कोल्हू के नीचे रहता है और जिसमें तेल या रस जमा करने के लिये बरतन रखा रहता है ।