गाढ़ा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गाढ़ा ^१ वि॰ [सं॰ गाढ़] [वि॰ स्त्री॰ गाढ़ी]

१. जो पानी की तरह पतला न हो । जिसमें जल के समान बहनेवाले अंश के अतिरिक्त ठेस अंश भी मिला हो । जिसकी तरलता घनत्व लिए हो । जैसे,—गाढ़ा दूध, गाढ़ा रस, गाढ़ी स्याही, गाढ़ा शरीर । मुहा॰—गाढ़ी छनना = (१) खूब भाँग का पिया जाना । (२) गहगड़ड़ नशा होना ।

२. जिसके सूत परस्पर खूब मिले हों । ठस । मोटा (कपड़े आदि के लिये) जैसे,—गाढी बुनावत, गाढ़ा कपड़ा ।

२. घनिष्ट । गहरा । गूढ़ । जैसे,—गाढ़ी मित्रता । मुहा॰—गाढ़ी छनना = (१) गहरी मित्रता होना । अत्यंत हेल मेल होना । गूढ़ प्रेम होना । जैसे,—आजकल उन दोनों की खूब गाढ़ी छनती है । (२) घुल घुलकर बातें होना । गुप्त सलाह होना । (३) लागा डाँट होना । विरोध होना ।

४. बढ़ा चढ़ा । घोर । कठिन । विकट । प्रचंड । कट्ठर । दुरूह । जैसे, गाढ़ी मेहनत । उ॰—द्विज देवता घरहि के बाढ़े । मिले न कबहुँ सुभट रन गाढे़ ।—तुलसी (शब्द॰) । मुहा॰—गाढे़ की कमाई = बहुत मेहनत से कमाया हुआ धन । अत्यंत परिश्रम से उपार्जित धन । गाढे़ का साथी या संगी— संकट के समय का मित्र । विपत्ति के समय सहारा देनेवाला । उ॰—दस्तगीर गाढे़ कर साथी । बहु अवगाह दीन तेहि हाथी ।—जायसी (शब्द॰) । गाढे़ दिन = संकट के दिन । विपत्ति काल । मुसीबत का वक्त । गाढे़ में = विपात्ति के दिनों से । संकट के समय में । जैसे,—मित्र वही जो गाढे़ में काम आवे ।

गाढ़ा ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ गाढ]

१. एक प्रकार का मोटा और भद्दा सूती कपड़ा जिसे जुलाहे बुनते हैं और गरीब आदमी पहनते हैं ।

२. मस्त हाथी ।