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गार्ग्य

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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गार्ग्य संज्ञा पुं॰ [सं॰] [स्त्री॰ गार्गी]

१. गार्ग गोत्र में उत्पन्न पुरुष ।

२. एक प्रचीन वैयाकरण जिनके मत का उल्लेख यास्क और पाणिनि ने किया है । निरुक्त टींकाकार दुर्गासिंह के अनुसार सामवेद के पदपाठ की रचना इन्हीं ने की थी । इनकी बनाई एक स्मृति भी है ।