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गिरह

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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गिरह संज्ञा स्त्री॰ [फ़ा॰]

१. गाँठ । ग्रंथि । क्रि॰ प्र॰—देना ।—बाँधना ।—मारना ।—लगाना ।

२. जेब । कीसा । खरीता । यौ॰—गिरहकट । ३ । दो पोगों के जुड़ने का स्थान ।

४. एक गज का सोलहवाँ भाग जो सवा दो इंच के बराबर होता है ।

५. कुस्ती का एक पेंच ।

६. कलैया । उलटी । उ॰—ऊँचा चितै सरहियत गिरह कबूतर लेत । दृग झलकित मुलकित बदन तन पुलकित कोहि हेत ।—बिहारी (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—खाना ।—मारना ।—लगाना ।—लेना । यौ॰—ग्रिरहबाज्ञ । मुहा॰—गिरह खोलना = गाँठ खोलना । मनसे मैल दूर करना । मन से बुराई दूर करना । गिरह पड़ना = गाँठ पड़ना । भेद पैदा होना । उ॰—पड़ न पावे गिरह किसी दिल में ।— चोखे, पृ॰ ३६ । गिरह बाँधना या बाँघ लेना = गाँठ में बाँध लेना । मन मे बैठा लेना । उ॰—ले गिरह बाँध दिल गिरह खोलें ।—चोखे॰ पृ॰ ३६ ।