गीता
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]गीता संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. वह ज्ञानमय उपदेश जो किसी बड़े से माँगने पर मिले । जैसे,—रामगीता, शिवगीता, अनुगीता, उत्तरगीता आदि ।
२. भगवदगीता ।
३. संकीर्ण राग का एक भेद ।
४. २६ मात्रा का एक छद जिसमें १४ और १२ मात्राओं पर विराम होता है । उ॰—मन बावरे अजहूँ समझ संसार भ्रम दरियाउ । इहि तरन को यहीं छोड़ कै कछु नाहिं और उपाय ।—(शब्द॰) ।
५. वृतांत । कथा । हाल । उ॰— सीता गीता पुत्र की सुनि सुनि भी अचेत । मनो चित्र की पुत्रिका कन क्रम बचन समेत ।—केशव (शब्द॰) ।