गुस्सा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]गुस्सा संज्ञा पुं॰ [अ॰ गुस्सह्] [वि॰ ग़ुस्सावार, गुस्सैल] क्रोध । कोप । रिस । क्रि॰ प्र॰—आना ।—करना ।— होना ।—में आना ।
मुहा॰—गुस्सा उतरना = क्रोध शांत होना ।
(किसी पर) गुस्सा उतारना= (१) क्रोध में जो इच्छा हो उसे पूर्ण करना । कोप प्रकट करना । अपने कोप का फल चखाना । (२) एक के ऊपर जो क्रोध हो दूसरे पर प्रकट करना । जैसे,— उससे तो जीतते नहीं, हमारे ऊपर गुस्सा उतारते हो ।
गुस्सा चढ़ना = क्रोध का आवेश होना । रिस का लगना ।
गुस्सा थूक देना = क्रोध को दूर कर देना । क्षमा करना । गई गुजरी करना ।
(स्त्रियाँ) गुस्सा निकालना = दे॰'गुस्सा उतारनी ।'
नाक पर गुस्सा होना = बहुत जल्दी क्रोध में आना । बात बात पर क्रोध करना । क्रोध करने के लिये सदा तैयार रहना ।
गुस्सा पीना = क्रोध रोकना । भीतर ही भीतर क्रोध करके रह जाना, प्रकट न करना ।
गुस्सा मारना = क्रोध रोकना ।
गुस्से से लाल होना = क्रोध सें तमतमाना । क्रोध के आवेश में आना ।