गूढ़
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]गूढ़ ^१ वि॰ [सं॰ गूढ़]
१. गुप्त । छिपा हुआ । यौ॰—गूढ़जत्रु, गूढ़पाद—सर्प ।
२. जिसमें बहुत सा अभिप्राय छिपा हो । अभिप्रायगर्भित । गंभीर । जैसे,—उसकी बातें अत्यंत गूढ़ होती हैं । उ॰— कह मुनि विहँसि गूढ़ मृदु बानी । सुना तुम्हारि सकल गुण खानी ।—तुलसी (शब्द॰) ।
३. जिसका आशय जल्दी न समझ में आवे । अबोधगम्य । कठिन । जटिल । गैसे, गूढ़ विषय ।
गूढ़ ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ गूढ़]
१. स्मृति में पाँच प्रकार की साक्षियों में से एक साक्षी जिसे अर्थी ने प्रत्यर्थी का वचन सुना दिया हो ।
२. एक अलंकार जिसे सूक्ष्म भी कहते हैं । गूढो़त्तर । गूढो़क्ति । दे॰ 'सूक्ष्मालंकार' । विशेष—सूक्ष्म, पर्यायोक्ति और विवृतोक्ति नामक अलंकार सब इसी के अंतर्गत आ सकते हैं ।
३. एकांत या निर्जन स्थान (को॰) ।
४. रहस्य । भेद (को॰) ।
५. गुप्तांग [को॰] ।