गूह

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गूह संज्ञा पुं॰ [सं॰ गूः] गलीज । मल । मैला । विष्ठा । बीट । मुहा॰—गूह उठाना =(१) पाखाना साफ करना । (२) तुच्छ से तुच्छ सेवा करना । बडी़ सेवा करना । गूह की तरह बचाना = घृणापूर्वक दूर रहना । जैसे—हम ऐसे आदमियों को गूह की तरह बचाते हैं । गूह की तरह छिपाना = निंदा और लज्जा के भय से गुप्त रखना । गूह उछलना = कलंक फैलना । निंदा होना । गूह उछालना = बदनामी कराना । गूह करना = गंदा और मैला करना । गूह का चोथ = भद्दा और घिनौना (वस्तु या व्यक्ति) । गूह का टोकरा = बदनामी का टोकरा । कलंक का भार । गूह खाना = बहुत अनुचित और भ्रष्ट कार्य करना । गूह गोड़ते फिरना = अगम्या स्त्रियों से गमन करते फिरना । गूह थापना = पागलपन के काम करना । होश में न रहना । गूह में ढेला फेंकना = बुरे आदमी से छेड़छाड़ करना । (बच्चों और रोगियों का) गूह मूत करना = मलमूत्र साफ करना । मुँह में गूह देना = बहुत धिक्कारना । किसी को छी छी कहना ।