गे पु † क्रि॰ अ॰ [हिं॰ गा का वहु॰ व॰] दे॰ 'गया ^२' । उ॰— भजि और भ्रत्त छंडे रिनह गे राज बिजपाल तहाँ ।— पृ॰ रा॰, १ । ६५४ ।