गैर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गैर ^१ वि॰ [अ॰ गैर]

१. अन्य । दूसरा ।

२. अजनबी । अपने कुटुंब या समाज से बाहर का (व्यक्ति) । पराया । जैसे, —(क) चीनी लोग गैर आदमी को अपने देश में नहीं आने देते थे । (ख) आप कोई गैर तो हैं नहीं, फिर आपसे क्यों बात छिपावें । विशेष—इस शब्द का प्रयोग विरुद्ब अर्थवाची उपसर्ग के समान भी होता है । जिसे विशेषण शव्द के पहले यह लगाया जाता है उसका अर्थ उलटा हो जाता है, जैसे,—गैरमुमकिन, गैर मुनासिब, गैरहाजिर ।

गैर ^२ संज्ञा स्त्री॰ [अ॰ गैर] अत्याचार । अनुचित बर्ताव । अँधेर । उ॰— (क) मेरे कहे मेर करु, सिवा जी सों बैर करि गैर करि नैर निज नाहक उतारे तैं । —भूषण (शब्द॰) । (ख) आवत हैं हम कछु दिन माहीं । चलै गैर तिनकी तब नाहीं ।—विश्राम (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—करना ।

गैर ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ गैगर] दे॰ 'गैयर' ।

गैर ^४ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ गैल] दे॰ 'गैल' । उ॰— उड़े गैर गैर माहिं रोस रस अकसै ।—शिखर॰, पृ॰ ३३१ ।

गैर ^५ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ घैर] दे॰ 'घैर' ।

गैर ^६ वि॰ [सं॰] [वि॰ स्त्री॰ गैरी]

१. गिरि संबंधी ।

२. गिरि पर उत्पन्न [को॰] ।