गोधूलि

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गोधूलि संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] वह संमय जब जंगल से चरकर लौटती हुई गायों के खुरों से धूलि उड़ने का कारण धुँधली छा जाय । संध्या का समय । विशेष—(क) ऋतु के अनुसार गोधूलि के समय में कुछ अंतर भी माना जाता है । हेमंत और शिशिर ऋतु में सूर्य का तेज बहुत मंद हो जाने और क्षितिज में लालिमा फैल जाने पर, वसंत और ग्रीष्म ऋतु में जब सूर्य आधा अस्त हो जाय, और वर्षा तथा शरत् काल में सूर्य के बिलकुल अस्त हो जाने पर गोधूलि होती है । (ख) फलित ज्योतिष के अनुसार गोधूलि का समय सब कार्यों के लिये बहुत शुभ होता है और उसपर नक्षत्र, तिथि, करण, लग्न, वार, योग और जामित्रा आदि के दोष का कुछ भी प्रभाव नहीं पड़ता । इसके अतिरिक्त इस संबंध में अनेक विद्वानों के और भी कई मत हैं ।