गोमुख

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गोमुख संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. गौ का मुँह । मुहा॰—गोमुख नाहर, गोमुख व्याध्र = वह मनुष्य जो देखने में बहुत ही सीधा पर वास्तव में बड़ा क्रूर और अत्याचारी हो । उ॰—देखिहैं हनुमान गोमुख नाहरनि के न्याय ।—तुलसी (शब्द॰) ।

२. बजाने का एक शंख जिसका आकार गौ के मुँह के समान होता है । उ॰—गोमुख, किन्नरि, झाँझ, बीच बिच मधुर उपंगा ।—नंद ग्रं॰, पृ॰ ३८३ ।

३. नरसिंहा नाम का बाजा । उ॰—एक पटह एक गोमुख एक आवझ एक झालरी । एक अमृत कुंडली रबाब भाँति सों दुरावे ।—सूर (शब्द॰) ।

४. गौ के मुख के आकार की वह थैली जिसमें माला रखकर जप करते हैं । गोमुखी ।

५. नाक नामक जलजंतु ।

६. योग का एक आसन ।

७. एक प्रकार की सेंध जो गौ के मुँह के आकार की होती है ।

८. टेढ़ा मेढ़ा घर ।

९. ऐपन ।

१०. एक यज्ञ का नाम ।

११. इंद्र के पुत्र जयंत के सारथी का नाम ।