गोमुखी
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
गोमुखी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] ऊन आदि की बनी हुई एक प्रकार की थैली जिसमें हाथ रखकर जप करते समय माल फेरते हैं । इसका आकार गाय के मुँह का सा होता है । इसे जपमाली या जलगुथली भी कहते हैं । विशेष—जप करते समय माला को सबकी दृष्टि की ओट में रखने का विधान है; इसी लिये गोमुखी का व्यवहार होता है ।
२. गौ के मुँह के आकार का गंगोत्तरी का वह स्थान जहाँ से गंगा निकलती है ।
३. राढ़ देश की एक नदी जिसे आजकल गोमुड़ कहते हैं ।
४. घोडों की एक भँवरी जो उनके ऊपरी होठों पर होती है और जो अच्छी समझी जाती है ।