गोमेदक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

गोमेदक संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. एक प्रसिद्ध मणि जिसकी गणना नौ रत्नों में होती है । उ॰—हीरे के थे कुसुम फल थे लाल गोमे— दकों के ।—प्रिय॰, पृ॰ १३२ । विशेष—इसका रंग सुर्खी लिए हुए पीला होता है और यह हिमालय पर्वत तथा सिंधु नदी में पाई जाती है । जो दोष हीरे में होते हैं वे ही इसमें भी होते हैं । सुश्रुत के मत से इस मणि से गंदा जल बहुत शाफ हो जाता है । यह राहु ग्रह की मणि मानी जाति है, इसीलिये इसे राहुग्रह या राहुरत्न भी कहते हैं । पर्या॰—राहुमणि । तमोमणि । स्वभीनव । लिंगस्फटिक ।

२. काकोल नामक विष जो काला होता है ।

३. पत्रक नामक साग ।

४. अंगराग लेपन (को॰) ।