घई
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]घई पु ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ गम्भीर]
१. गंभीर भँवर । पानी का चक्कर । उ॰—आये सदा सुधारि गोसाई जन ते बिगरि गई है । थके बचन पैरत सनेह सरि परे मानो घोर घई है ।— तुलसी (शब्द॰) ।
२. थूनी । टेक ।
३. वह दरार जो जोलाहों के तुर में ११/२ अंगुल गहरी और इतनी ही चौड़ी और गज भर लंबी खुदी होती है ।
घई पु ^२ वि॰ जिसकी थाह न लग सके । अत्यंत गंभीर । बहुत गहरा । अथाह । उ॰—प्रीति प्रतीत रीति शोभा सरि थाहत जहँ तहँ घई ।—तुलसी (शब्द॰) ।