घढ़ना †पु क्रि॰ स॰ [सं॰ घटन] दे॰ 'गढ़ना' । उ॰—मोद बितोद भरी मृदु मूरति का विरंचि या घाट घढ़ी ।—घनानंद, पृ॰ ४६४ ।