घनगरज

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

घनगरज संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ घन + गर्जन]

१. बादल के गरजने की ध्वनि ।

२. एक प्रकार की तोप ।

३. एक प्रकार की खुभी जो असाढ़ या वर्षारंभ में उत्पन्न होती है । विशेष—लोग ऐसा मानते हैं कि जब बादल गरजते हैं, तब इसके बीज जो भूमि के अंदर रहते हैं, भूमि फोड़कर गाँठ के रूप में निकल पड़ते हैं । इसकी तरकारी बनाई जाती है । अवध में इसे भुइँफोड़ और पंजाब में ढिंगरी कहते हैं ।