घर्घर
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]घर्घर संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. प्राचीन काल का एक बाजा जिससे ताल दिया जाता था ।
२. गाड़ी आदि के चलने का गंभीर शब्द । घड़घड़ाहट । उ॰—रथ का घर्घर घंटों की घनघन ।—अणिमा, पृ॰ ३६ ।
२. घरघर शब्द ।
३. हास । अट्ठहास । हँसी ।
४. भूसी की आग । तुषाग्नि ।
५. उलूक । ६ परदा ।
७. द्वार ।
८. पर्वत का दर्रा ।
९. लकड़ी आदि के चटकने की आवाज ।
१०. मथानी के चलाने का शब्द ।
११. मथानी ।
१२. घाघरा नदी ।