घर्रा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

घर्रा संज्ञा पुं॰ [अनुध्व॰, घररघरर (= घिसने या रगड़ने का शब्द)]

१. एक प्रकार का अजन जो अफीम, फिटकिरी, घी, कपूर, हड़, जल बत्ती, इलायची, नीम की पत्ती इत्यागि को एक में घिस— कर बनाया जाता है । यह अंजन आँख आने पर लगाया जाता है ।

२. गले की घरघराहट जो कफ के कारण होता है । मुहा॰—घर्रा चलना = मरते समय कफ छेंकने के कारण साँस का घरघराहट के साथ रुक रुककर निकलना । घुँघरू बोलना । घटका लगना । घर्रा लगना = दे॰ 'घर्रा चलना' ।

२. कूएँ आदि की मिट्टी अथवा जल को व्यक्तियों द्वारा बैल की तरह खींचने का काम ।