घाघ

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

घाघ ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰]

१. गोंड़े के रहनेवाले एक बड़े चतुर और अनुभवी व्यक्ति का नाम जिनकी कही बहुत सी कहावतें उत्तरीय भारत में प्रसिद्ध हैं । खेती बारी, ऋतुकाल तथा लग्न मुहूर्त आदि के संबंध में इनकी विलक्षण उक्तियाँ किसान तथा सर्वसाधारण लोग बहुत कहा करते हैं । जैसे—मुए चाम से चाम कटावे, सकरी भुइँयाँ सोवैं, कहे घाघ ये तीनों भकुआ, उढ़रि जाय औ रोवै ।

२. अत्यंत चतुर मनु्ष्य । अनुभवी । गहरा । चालाक । खुर्राट । सयाना ।

३. इंद्रजाली । जादूगर । बाजीगर । उ॰—जैसो तुम कहत उठायो एक गिरिवर ऐसे कोटि कपिन के बालक उठावहीं । काटे जो कहत सीस, काटत घनेरे घाघ, भगर के खेले भट पद पावहीं ।—केशव (शब्द॰) ।

घाघ ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ घुग्घु] उल्लू की जाति का एक पक्षी जो चील के बराबर होता है । घाघस ।