घिन
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]घिन संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ घृणा अथवा घृणि(=अप्रिय)] [क्रि॰ घिनाना । वि॰ घिनौना]
१. चित्त की वह खिन्नता जो किसी बुरी या कुत्सित वस्तु को देख या सुन कर उत्पन्न होती है । अरुचि । नफरत । घृण ।
२. किसी गंदी चीज को देख सुन कर जी मचलाने की सी अवस्था । जी बिगड़ना । क्रि॰ प्र॰—आना ।—लगना । मुहा॰—घिन खाना=घृणा करना । नफरत करना ।