घिया
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]घिया ^१पु † संज्ञा पुं॰ [हिं॰ घिय] घृत । घी । उ॰—चाँद सुरुज दोऊ बने अहीरा, घोर दहिया घिया काढ़ा हो ।—कबीर सा॰ सं॰, पृ॰ ५० ।
घिया ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ घी]
१. एक प्रकार की बेल जिसके फलों की तरकारी होती है । विशेष—इसके पत्ते कुम्हड़े की तरह के गोल गोल और फूल सफेद रंग के होते हैं । घिया दो प्रकार का होता है—एक लंबे फल का और दूसरा गोल फल का, जिसे कददू कहते हैं । इसकी एक जाति कड़ुई भी होती है जिसे तितलौकी कहते हैं । घिया बहुत मुलायम होता है तथा गुणा में शीतल और रोगी के लिये पथ्य माना जाता है । इसके बीज का तेल (कद्दू का तेल) सिर का दर्द दूर करने के लिये लगाया जाता है । इसे लौकी या लौआ भी कहते हैं ।
२. घियातोरी । निनुआँ ।