घिसना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]घिसना ^१ क्रि॰ स॰ [सं॰ घर्षण, प्रा॰ घसण]
१. एक वस्तु को दूसरी वस्तु पर रखकर खूब दबाते हूए इधर उधर फिराना । रगड़ना । जैसे,—इसको पत्थर पर घिस दो, तो चिकना हो जायगा । संयो॰ क्रि॰—डालना ।—देना । मुहा॰—घिस घिस कर चलना=बहुत दिनों तक खूब काम में लाया जाना और चलना ।
२. किसी वस्तु को दूसरी वस्तु पर इस प्रकार रगड़ना कि उसका कुछ अंश छूटकर अलग हो जाय । जैसे—चंदन घिसना । मुहा॰—घिस लगाने को नहीं=घिसकर तिलक या अंजन लगाने भर को भी नहीं । लेशमात्र नहीं ।
३. संभोग करना (बाजारू) ।
घिसना ^२ क्रि॰ अ॰ रगड़ खाकर कम होना या छीजना । जैसे— जूते की एँड़ी चलते चलते घिस गई । संयो॰ क्रि॰—जाना । उठना ।