घुणाक्षर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

घुणाक्षर संज्ञा पुं॰ [सं॰] ऐसी कृति या रचना जो अनजान में उसी प्रकार हो जाय, जिस प्रकार घुनों खाते खाते लकड़ी में अक्षर की तरह के बहुत से चिह्न या लकीरें बन जाती हैं । यौ॰—घुणाक्षर न्याय=अकस्मात् किसी अनभीष्ट एवं अज्ञात कार्य का बिना प्रयत्न के हो जाना । उ॰—यदि वहघुणाक्षर न्याय से किसी प्रकार अपने कर्तव्य कार्य को . . . . ।— प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ ३७६ । विशेष—इस न्याय या उक्ति का प्रयोग ऐसे स्थलों पर करते हैं जहाँ किसी के द्वारा ऐसा आकास्मिक कार्य हो जाता है जो उसे ज्ञान या अभीष्ट न रहा हो ।