घुरना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]घुरना ^१पु क्रि॰ अ॰ [हिं॰] दे॰ 'घुलना' ।
घुरना ^२ क्रि॰ अ॰ [सं॰ घुर] शब्द करना । बजना । उ॰—(क) अवधपुर आए दसरथ राइ । राम लषन अरु भरत सत्रुघन सोभित चारौ भाइ । घुरत निसान मृदंग शंख धुनि भेरि झाँझ सहनाइ । उमगे लोग नगर के निरखत अतिसुख सबहिनि पाइ ।—सूर॰, ९ ।२९ । (ख) डंकन के शोर चहुँ ओर महा घोर घुरे मानो घनघोर घोरि उठे भुव ओर तें ।—सूदन (शब्द॰) ।
घुरना ^३पु क्रि॰ स॰ [हिं॰ घुलना(=मिलना)] भेंटना । आलिंगन करना । मिलना । उ॰—(क) धाइ धुरि गई जसुमति मैया । इत हँसि दौरि घुरचौ बल भैया ।—नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ २८३ । (ख) छबीले दृग घुरि घुरि हसि मुरि जात ।—नागरी (शब्द॰) ।