घूँघट

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

घूँघट संज्ञा पुं॰ [सं॰ गुणठ]

१. स्त्रियों की साडी या चादर के किनारे का वह भाग जिसे वे लज्जावश या परदे के लिये सिर पर से नीचे बढाकर मुँह पर डाले रहती हैं । वस्त्र का वह भाग जिससे कुलवधू का मुँह ढँका रहता है । उ॰— भावत ना छिन भौन को बैठिबो घूँघट कौन को लाज कहाँ की ।— ठाकुर॰ पृ॰ ६ । क्रि॰ प्र॰— खोलना ।—घालना ।—डालना । मुहा॰—घूँघट उठाना =(१) घूँघट को ऊपर की ओर खसकाना जिससे मुँह खुल जाय । (२) परदा दूर करना । (३) नई आई हुई वधू का सबके सामने मुँह खोलना । घूँघट उलटना=दे॰ 'घूँघट उठाना' । घूँघट करना=(१) घूँघट डालना । (२) लज्जा करना । शर्म करना । (३) घोडे़ का पीछे की ओर गरदन मोड़ना । (सवार) । घूँघट काढ़ना = घूँघट डालना । मुँह को घूँघट से ढकना । घूँघट खाना= लड़ाई के मैदान से मुँह मोड़ना । मेना का युद्धस्थल से पीछे की ओर भागना । लड़ाई में सेना का पीठ दिखाना । घूँघट निकालना=दे॰ 'घूँघट काढना' । घूँघट मारना=दे॰ 'घूँघट काढ़ना' ।

२. परदे की वह दीवार जो बाहरी दरवाजे के सामने इसलिये रहती है, जिसमें चौक या आँगन बाहर से दिखाई न पडे़ । गुलामगर्दिश । ओट ।

३. घोडे़ की आँखों पर की पट्टी । अँधेरी ।