घेरना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]घेरना क्रि॰ स॰ [सं॰ग्रहण]
१. चारो ओर से हो जाना । चारों ओर से छेंकना । सब ओर से आबद्ध करके मंडल या सीमा के अंदर लाना । बाँधना । जैसे, — (क) इस स्थान को टट्टियों से घेर दो । (ख) दुर्ग को खाई चारो ओर से घेरे है । (ग) इतना अंश लकीर से घेर दो ।
२. चारो ओर से रोकना । आक्रांत करना । छेंकना । ग्रसना । उ॰— (क) धरम सनेह उभय मति घेरी । भइ गति साँप छुछुंदरि केरी । — मानस, २ ।५५ । (ख) गैयन घेरि सखा सब जाए । — सूर (शब्द॰) । (ग) बाल बिहाल वियोग की घेरी ।— पद्माकर (शब्द॰) ।
३. गाय आदि चौपायों की चराई करना । चराने का काम अपने उपर लेना । चराना ।
४. किसी स्थान को अपने अधिकार में रखना । स्थान छेंकना या फँसाए रखा ।
५. सेना का शत्रु के किसी नगर या दुर्ग के चारों ओर आक्रमण के लिये स्थित होना । चारों ओर से अधिकार करने के लिये छेंकना ।
६. किसी कार्य के लिये किसी के पास बार बार जाकर अनुरोध या विनय करना । खुशामद करना । जैसे,— हमको क्यों घेरते हो; हम इस मामले में कुछ भी नहीं कर सकते । यौ॰— घरना घारना ।