चँदवा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]चँदवा ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ चन्द्रक या चन्द्रातप]
१. एक प्रकार का छोटा मंडप जो राजाओं के सिहासन या गद्दी के ऊपर चाँदी या सोने की चार चोबों के सहारे ताना जाता है । चँदोवा ।
२. चँदरछत ।
३. बितान । उ॰—ऊपर राता चँदवा छावा । औ भुइँ सुरंग बिछाव बिछावा ।—जायसी (शब्द॰) विशेष—इसकी लंबाई चौड़ाई दो ढाई गज से अधिक नहीं होती और यह प्रायः मखमल, रेशम आदि का होता है, जिसपर कारचोब का काम बना रहता है । इसके बीच में प्रायः गोल काम रहता है ।
चँदवा ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ चन्द्रक]
१. गोल आकार की चकती । गोल थिगली या पैबंद । जैसे टोपी का चँदवा ।
२. [स्त्री॰ चँदियाँ] तालाब के अदर का गहरा गड़ढा जिसमें मछलियाँ पकड़ी जाती हैं ।
३. मोर की पूँछ पर का अर्द्ध चंद्राकार चिह्न जो सुनहले मंडल के बीच में होता है । मोरपंख की चंद्रिका । उ॰—(क) मोरन के चँदवा माथे बने राजत रुचिर सुदेस री । बदन कमल ऊपर अलिगन मनों घूँघरवारे केस री ।—सूर (शब्द॰) । (ख) सोहत हैं चँदवा सिर मोर के जैसिय सुंदर पाग कसी हैं ।—रसखान (शब्द॰) ।
४. एक प्रकार की मछली ।