चंद
दिखावट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]चंद ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ चन्द्र]
१. दे॰ 'चंद्र' ।
२. एक राग । दे॰ 'चंद्रक' । उ॰—रामसरी खुमरी लागी रट धूया माठा चांद धरु । बेलि॰, दू॰ २४६ ।
३. हिंदी के एक प्राचीन कवि । विशेष—ये दिल्ली के अंतिम हिंदू सम्राट् पृथ्वीराज चौहान की सभा में थे । इनका बनाया हुआ पृथ्वीराज रासो बहुत बडा काव्य है । ये लाहौर के रहनवाले थे ।
चंद ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ चन्द]
१. चंद्रमा ।
२. कपूर [को॰] ।
चंद ^३ वि॰ [फा॰]
१. थोडे से कुछ । जैसे, —अभी उन्हें आए चंद रोज रुए हैं ।
२. कई एक । कुछ । जैसे, —चंद आदमी वहाँ बैठे हैं । यौ॰—चंद दर चंद = कुछ न कुछ । उ॰—हर काम के आगाज में चंद दर चंद नुक्स नुमायाँ होते हैं ।—श्रीनिवास ग्रं॰, पृ॰ ३२ । चंदरोजा = अस्थायी । थोडे दिनों का । उ॰—यह झूठी कलई की हुई मनोहर इमारत चंद रोजा नुमाइश के लिये . . . ।—प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ ॰ १६८ ।