चक्रतीर्थ

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चक्रतीर्थ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. दक्षिण में वह तीर्थ स्थान जहाँ ऋष्यमूक पर्वतों के बीच तुंगभद्रा नदी घूमकर बहती है । उ॰—चक्रतीर्थ महँ परम प्रकासी । बसैं सुदर्सन प्रभु छबि रासी ।—रघुराज (शब्द॰) ।

२. नैमिषारण्य का एक कुंड । विशेष—महाभारत तथा पुराणों में अनेक चक्रतीर्थों का उल्लेख है । काशी, कामरूप, नर्मदा, श्रीक्षेत्र, सेतुबंध रामेश्वर आदि प्रसिद्ध प्रसिद्ध तीर्थों में एक एक चक्रतीर्थ का वर्णन है । स्कंदपुराण में प्रभास क्षेत्र के अंतर्गत चक्रतीर्थ का बडा़ माहात्म्य लिखा है । उसमें लिखा है कि एक बार विष्णु ने बहुत से असुरों का संहार किया जिससे उनका चक्र रक्त से रंग उठा । उसे धोने के लिये विष्णु ने तीर्थो का आह्वान किया । इसपर कई कोटि तीर्थ वह आ उपस्थित हुए और विष्णु की आज्ञा से वहीं स्थित हो गए ।