चटक
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]चटक ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] [स्त्री॰ चटका]
१. गौरा पक्षी । गौरवा । गौरैया । चीड़ा । यौ॰—चटकाली= गौरों की पंक्ति । गौरों का झुंड ।
२. पिपरामूल ।
चटक ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ चटुल (=सुंदर)] चटकीलापन । चमक- दमक । कांति । उ॰—(क) मुकुट लटक अरु भ्रुकुटि मटक देखो, कुंडल की चटक सों अटकि परी दृगनि लपटि ।—सूर (शब्द॰) । (ख) जो चाहै चटक न घटै मैलो होय न मित्त । रस राजस न छुवाइए नेह चीकने चित्त ।—बिहारी (शब्द॰) । (ग) केसरि चटक कौन लिखें लेखियति है ।—घनानंद॰, पृ॰ ५८ । यौ॰—चटक मटक ।
चटक ^३ † वि॰ चटकीला । चमकिला । शोख । उ॰—ऐसो माई एक कोद को हेत । जैने वसन कुसुँभ रंग मिलि कै नेकु चटक पुनि श्वेत ।—सूर (शब्द॰) ।
चटक ^४ संज्ञा स्त्री॰ [चटुस(=चंचल)] तेजी । फुरती । शीघ्रता ।
चटक ^५ क्रि॰ वि॰ चटपट । तेजी से । शीघ्रता से । तुरंत । उ॰— भरि जल कलस कंध धरि पाछे चल्यो चटक जग मीता ।— रघुराज (शब्द॰) ।
चटक ^६ † वि॰ फुरतीला । तेज । आलस्यहीन ।
चटक ^७ वि॰ [अनुष्चट] चटपटा । चटकारा । चरपरा । तीक्ष्ण स्वाद का । नमक, मिर्च, खटाई आदि से तेज किया हुआ । मजोदार ।
चटक ^८ संज्ञा पुं॰ [देश॰] छपे हुए कपड़ों को साफ करके धोने की रीति । विशेष—भेड़ी की मेगनी और पानी में कपड़ों को कई बार सौंद सौंदकर सुखाते हैं ।
चटक मटक † संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ चटक + मटक] बनाव सिंगार । वेशविन्यास और हावभाव । नाज नखरा । ठसक । चमक दमक । जैसे,—चटक मटक से चलना ।