चटकना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]चटकना क्रि॰ अ॰ [अनु॰ चट]
१. 'चट' शब्द करके टूटना या फूटना । बिना किसी प्रबल बाहरी आघात के फटना या फूटना । हलकी आवाज के साथ टूटना । तड़कना । कड़कना । जैसे,—आँच से चिमनी चटकना, हाँड़ी चटकना । उ॰— चटके न पाटी पाँव धरिए पलंग ऐसे है हरि हरा के मेरी जेहर न खटकै ।—ठाकुर॰, पृ॰ २४ । संयो॰ क्रि॰—जाना ।
२. कोयले, गँठीली लकड़ी आदि का जलते समय चटपट करना ।
३. चिड़चिड़ाना । बिगड़ना । झुँझलाना । क्रोध से बोलना । झल्लाना । जैसे,—चटककर बोलना ।
४. धूप या खुली हवा में पड़ी रहने के कारण लकड़ी या और किसी वस्तु में दरज पडना । स्थान स्थान पर फटना ।
५. मोड़कर दबाने पर उँगलियों का चटचट शब्द करना । उँगली फूटना ।
६. कलियों का फूटना या खिलना । प्रस्फुटित होना । उ॰—तुव जस सीतल पौन परसि चटकी गुलाब की कलियाँ । अति सुख आइ असीस देत सोई । करि अँगुरिन चट अलियाँ ।—हरिश्चंद्र (शब्द॰) ।
७. अनबन होना । खटकना । जैसे,—उन दोनों में आजकल चटक गई है । विशेष—इस अर्थ में इस क्रिया का प्रयोग 'खटकना' की तरह स्त्री॰ ही में होता है; क्योंकि इसका कर्ता 'बात' लुप्त है ।
चटकना ^२ संज्ञा पुं॰ [अनु चट] चपत । तमाचा । थप्पड़ । क्रि॰ प्र॰—देना । मारना । लगाना ।