चटुल
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]चटुल वि॰ [सं॰]
१. चंचल । चपल । चालाक ।
२. सुंदर । प्रिय— दर्शन । मनोहर । उ॰—छठि छ राग रस रागिनी हरि होरी है । ताला तान बंधान अहो हरि होरी है । चटुल चारु रतिनाथ के हरि होरी है । सीखन होइ औधान अहो हरि होरी है ।—सूर (शब्द॰) । (ख) मंजुल महरि मयूर चटुल चातक चकोर गन ।—भूषन (शब्द॰) । (ग) मोती लटकन को नवल नट नाचै नयन निरत बर वानि की चटुल चटसार मै ।—देव (शब्द॰) । (घ) उसके नैनों की पलकैं, तरुणतर केतकी के दल के सदृश दीर्घ किंचित् चटुल और किंचित सालस शोभायमान थी ।—श्यामा॰, पृ॰ २६ ।