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चढ़ना

विक्षनरी से

क्रिया

  1. ऊपर की ओर बढ़ना

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

चढ़ना क्रि॰ अं॰ [सं॰ उच्चालन, प्रा॰ उच्चडन, चनड़्ढ] नीचे से ऊपर को जाना । ऊँचे स्थान पर जाना । 'उतरना' का उलटा । जैसे,—सीढ़ी पर चढना । संयो॰ क्रि॰—जाना । मुहा॰—सूरज या चाँद का चढ़ना = सूर्य या चंद्रमा का उदय हो कर क्षितिज के ऊपर आना । दिन चढ़ना = (१) दिन का प्रकाश फैलना । (२) दिन या काल व्यतीत होना । जैसे,— चार घड़ी दिन चढ़ा । वि॰ दे॰ 'दिन' ।

२. ऊपर उठना । उड़ना । उ॰—गगन चढै़ रज पवन प्रसंगा । तुलसी (शब्द॰) ।

३. नीचे तक लटकती हुई किसी वस्तु का सिकुड़ या खिसककर ऊपर की ओर हो जाना । ऊपर की ओर सिमटना । जैसे—आस्तीन चढ़ना, बाहीं चढ़ना, पायजामा चढ़ना, फायँचा चढ़ना, मोहरी चढ़ना ।

४. एक वस्तु के ऊपर दूसरी वस्तु का सटना । आवरण के रूप में लगाना । ऊपर से टँकना । मढ़ा जाना । जैसे,—किताब पर जिल्द या कागज चढ़ाना, छाते पर कपड़ा चढ़ाना, तकिए पर खोल या गिलाफ चढ़ना, गोट चढ़ना ।

५. उन्नत्ति करना । बढ़ना । मुहा॰—चढ बढ़कर या बढ़ चढ़कर होना = श्रेष्ठ होना । अधिक महत्व का होना । चढ़ा बढ़ा या नढ़ा चढ़ा होना = श्रेष्ठ होना । अधिक बड़ा या अच्छा होना । अधिक होना । विशेष होना । चढ़ बनाना = मनोरथ सफल होना । सुयोग मिलना । लाभ का अवसर हाथ आना । जैसे,—उनकी आजकल खूब चढ़ बनी है । चढ़ बजना = बात बनना । पौ बारह होना । खूब चलती होना । उ॰—अधर रस मुरली लूटि करावति । आपुन बार बार लै अँचवति जहाँ तहाँ ढ़रकावति । आजु महा चढ़ि बाजी वाकी जोई कोई करै बिराजै । कारि सिंहासन बैठि अधर सिर छत्र धरे वह गाजै ।—सूर (शब्द॰) ।

६. (नदी या पानी का) बाढ़ पर आना । बढ़ना । जैसे,— (क) बरसात के कारण नगी खूब चढ़ी थी । (ख) आज तीन हाथ पानी चढ़ा ।

७. आक्रमण करना । धावा करना । चढ़ाई करना । किसी शत्रु से लड़ने के लिये दल बल सहित जाना । क्रि॰ प्र॰—आना ।—जाना ।—दौड़ना ।

८. बहुत से लोगों का दल बाँधकर किसी काम के लिये जाना । साज बाज के साथ चलना । गाजे बाजे के साथ कहीं जाना । उ॰—आपके साथ मैं सारे इंदरलोक को समेट कुँवर उदयभान को ब्याहने चढ़ूँगा ।—इंशाअल्ला (शब्द॰) ।

९. महँगा होना । भाव का बढ़ना । जैसे,—आज कल घी बहुत चढ़ गया है । १० स्वर का तीव्र होना । सुर ऊँचा होना । आवाज तेज होना ।

११. नदी या प्रवाह में उस ओर को चलना, जिधर से प्रवाह आता हो । धारा का बहाव के विरुद्ध चलना ।

१२. ढोल, सितार आदि की डो़री या तार का कस जाना । तनना । जैसे,—ढ़ोल चढ़ना, ताश चढ़ना । मुहा॰—नस चढ़ना = नस का अपने स्थान से हट जाने के कारण तन जाना ।

१३. किसी देवता, महात्मा आदि को भेंट दिया जाना । देवार्पित । होना । जैसे, माला फूल चढ़ना । बलि चढ़ना । बकारा चढ़ना उ॰—बात यह चित से कभी उतरे नहीं । हैं उतरते फूल चढ़ने के लिये ।—चुभते॰ पृ॰, ११ । १४ सवारी पर बैठना । सवारी करना । सवार होना । जैसे—घोड़े पुर चढ़ना । गाड़ी पर चढ़ना । संयो॰ क्रि॰—जाना ।—बैठना ।

१५. किसी निर्दिष्ट कालविभाग जैसे,—वर्ष, मास, नक्षत्र आदि, का आरंभ होना । जैसे, असाढ़ चढ़ना, महीन चढ़ना, दशा चढ़ना । उ॰—(क) चढ़ा असाड़ दुंद घन गाजा ।—जायसी (शब्द॰) । (ख) चढ़ ति दसा यह उतरति जाति निदान । कहउँ न कबहूँ करकस भौंह कमान ।—तुलसी (शब्द॰) । विशेष—वार, तिथिया उसल छोटे कालविभाग के लिये 'चढ़ना' का प्रयोंग नहीं होता ।

१६. किसी के ऊपर ऋण होना । कर्ज होना । पावना होना । जैसे,—(क) व्याज चढ़ना (ख) इधर कई महीनों के बीच में उसपर सैकड़ों रुपये महाजनों के चढ़ गए ।

१७. किसी पुस्तक, बही या कागज आदि पर लिखा जाना । टँकना । दर्ज होना । (यह प्रयोग ऐली रकम, वस्तु या नाम के लिये होता है जिसका लेखा रखाना होता है ।) जैसे,—(क)

५. रुपए आज आए हैं, वे बही पर चढ़ कि नहीं ? (ख) रजिस्टर पर लड़के का नाम चढ़ गया ।

१८. किसी वस्तु का बुरा और उद्बेगजनक प्रभाव होना । बुरा असर होना । आवेश होना । जैसे,—क्रोध चढ़ना, नशा चढ़ना, ज्वर चढ़ना । मुहा॰—पाप या हत्या चढ़ना = पाप या हत्या के प्रभाव से बुद्धि का ठिकाने न रहना ।

१९. पकने या आँच खाने के लिये चूल्हे पर रखा जाना । जैसे,— दाल चढ़ना, भात चढ़ना, हाँड़ी चढ़ना, कड़ाह चढ़ना ।

२०. लेप होना । लगाया जाना । पोता जाना । जैसे,—(अंग पर) दवा चढ़ना, वारनिश चढ़ना, रोगन चढ़ना, रंग चढ़ना । मुहा॰—रंग चढ़ना = रंग का किसी वस्तु पर आना । रंग का खिलना । वि॰ दे॰ 'रंग' । उ॰—सूरदास खल कारी कामरि चढ़त न दूजो रंग ।—सूर (शब्द॰) ।

२१. किसी मामले को लेकर अदालत तक जाना । कचहरी तक मामला ले जाना । जैसे,—चार आदमी जी कह दें, वही मान लो; कचहरी चढ़ने क्यों जाते हो ?